Anju Dixit

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Apr-2022तुम बिन,

तेरे बिन चाँदनी रात भी ख़ौफ़नाक मंजर,
तेरे बिन बहार भी ऊसर बंजर।
तेरे साथ वीराना भी  आवाद
तेरे बिन  महल भी खण्डकर।
तेरे बिन सुरमई शामे दर्द का पैकर
तेरे साथ मन भावन तपती दोपहर।
तेरे बिना सूखा मन का दरिया,
तेरे साथ सहरा भी समन्दर।
तेरे बिन तन्हां तन्हा हर महफ़िल,
तेरे साथ मन उल्लासों  का बवंडर।
तेरे बिन में रेजा रेजा,
तेरे साथ मुझमें जमाने का जबर।
तेरे लिए मैं क्या हूँ तू जाने,
तेरे बिन न मेरी कोई मंजिल न सफर।
तेरे बिन कोई  हमदर्द हमराह चुनना ही नहीं,
तेरे बिन मुझपर सब बे असर।
तेरी आमद मेरी सासों का चलन,
तेरे बिन मेरी सूनी रहगुजर।


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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Apr-2022 04:44 PM

बेहतरीन रचना

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Punam verma

08-Apr-2022 08:09 AM

Nice

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Abhinav ji

07-Apr-2022 11:57 PM

Nice👍

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